दोस्तों,
हम सब ही चाहते हैं कि हमारा जीवन बहुत सुन्दर और खुशियों से भरा हो.
हम सब को ही पता है
कि अपने जीवन में हम क्या
क्या प्राप्त कर सकते हैं –
अनंत सुअवसर, अपने सपनों की पूर्ती,
अपने जीवन के हर दिन में भरपूर ख़ुशी और एक सफल जीवन जीने का मौका. हम में से ज्यादातर लोग कम से कम एक अच्छी नौकरी, successful carrier, खुशहाल
पारिवारिक जीवन
और आर्थिक सुरक्षा चाहते हैं.
हम सब ये जानते हैं की मनुष्य होने के नाते हम सब इन सभी
चीजों के योग्य हैं. क्या अपने कभी सोचा है कि जब हम deserve करते
हैं तो फिर ये सब हमें क्यूँ नहीं मिल पाता?
जो हम जीवन में चाहते हैं उसे पा क्यूँ नहीं पाते? कुछ
लोग हमें भाग्यशाली क्यूँ लगते हैं? क्यूँ कुछ लोग दिन प्रतिदिन खुश, अधिक प्रतिभाशाली और अधिक संतुष्ट दिखते हैं? क्या है जो उनमें है
और हममें नहीं? क्या ये किस्मत है,
किसी प्रकार की दैवीय शक्ति जो कि रहस्यमयी ढंग से हमारी नियति निर्धारित करती है.क्या
हमारे जीवन का नियंत्रण हमारे हाथों में है और अगर है
तो हम
क्या गलत कर रहे हैं? क्या है जो हमें पीछे धकेल
रहा है?
मित्रों, success कोई दुर्भाग्य या सौभाग्य का विषय नहीं है.
हमारा किसी भी काम में successful या fail होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया यानि natural process पर
निर्भर करता है. इस process के कुछ steps हैं. अगर हम उन steps से परिचित हैं तो हमारी success की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और अगर हम नहीं जानते कि हमारी success और failure के पीछे क्या कारण हो सकते
हैं तो हम भाग्य के भरोसे बैठे रहते हैं.
अगर हम अपने जीवन को भाग्य के भरोसे छोड़ दें तो हमारे failure की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. जरा अपनी ही व्यक्तिगत success और failure पर एक नज़र डालते हैं.चाहे वो आपकी छोटे छोटी प्रतिदिन की उपलब्धियों को examine करें या बड़ी बड़ी सफलताओं को analyze करें, आप
देखंगे
कि वे आकस्मिक नहीं थी बल्कि वे किसी और ही बात का परिणाम
थीं. ये बात आपकी success और failure दोनों के लिए ही सामान रूप से सच है अधिकतर मामलों में अपनी success और failure का कारण हम खुद ही होते हैं. हम क्या करते हैं,क्या
नहीं करते हैं इसी पर हमारी success और failure निर्भर करती है. अर्थात
हमें अपने आप को यानी सुनियोजित
manage
करने की जरूरत है.जिसे हम self-management भी कहते हैं. हमारा self-management ही हमारी success या failure को control करता है. Self-management के
पांच steps हैं.चलिए जरा इन पर एक नजर डालते हैं.
1.
Behavior
पहला step, जो आपके success या failure को प्रत्यक्ष रूप से control करता है वो है आपका Behavior यानि व्यवहार .व्यवहार का मतलब है हमारा क्रिया कलाप. आप क्या करते हैं, कैसे करते हैं; ये ही निर्धारित
करता है कि आप उस काम में सफल होंगे या असफल .सही कार्य की सही श्रंखला सदैव गलत कार्य की गलत श्रृंखला से अच्छे परिणाम देती है. अधिकाँश मामलों में उचित
कार्य के आपको हमेशा उचित परिणाम मिलते हैं.
उदाहरणत: अगर आपको आपकी job पसंद है तो आप अपना काम सही समय पर, सही ढंग से करते हैं. इस स्थति में अपने job से आपको अच्छे result मिलने की पूरी संभावना होती है. जबकि
अगर आप अपने job को पसंद नहीं करते तो आप अपने काम को सही समय पर और सही ढंग से नहीं करते हैं,परिणामस्वरूप
आपको अपनी job से मनचाहे result नहीं मिल पाते. चलिए, दूसरा
उदाहरण लेते हैं .अगर एक विद्यार्थी स्कूल में अनुपस्थित रहता है, कक्षा में ध्यान नहीं देता, ढंग से पढाई नहीं करता तो क्या उसका
परीक्षफल अच्छा हो सकता है?
कदापि नहीं. जबकि अगर वो रोजाना स्कूल जाता है,कक्षा
में ध्यान से पड़ता है,खूब परिश्रम करता है तो उसका परीक्षा फल अच्छा होने की सम्भावनयें बढ़ जाती हैं. यही
बात आपके पारिवारिक जीवन पर भी लागु होती है. आपके पारिवारिक जीवन
में जहाँ आप हैं, अगर उससे आप खुश नहीं हैं तो आप क्या करेंगे? इस स्थिति में किसी
भी सामान्य मनुष्य की तरह आपका behavior आपके क्रिया कलाप आपके आस पास के लोगों को यानि आपके परिवार जनों को ये चेतावनी देंगे कि आप खुश नहीं हैं.
इसका परिणाम क्या होगा? एक अप्रसन्न पारिवारिक जीवन, जिसमें
कि किसी न किसी रूप में हमेशा सिर्फ दुःख ,मतभेद और बहस ही होगी.जबकि
अगर आपके
घर में आपका behavior सकारात्मक है तो आपके घर का वातावरण भी आपके अनुकूल और सकारात्मक होगा. इसका मतलब ये है कि आप क्या
करते हैं ,कैसे करते हैं,एक एक शब्द जो आप बोलते हैं या नहीं बोलते हैं
यानि आप अपना व्यवहार कैसा रखते हैं या कैसे नियंत्रित करते हैं इसी पर आपकी success या failure निर्भर करती है. अत: अगर
हम अच्छा करेंगे, अच्छा
बोलेंगे, अच्छा सोचेंगे तो परिणाम भी अच्छा ही होगा.
अब सवाल ये उठता है कि जब हमें पता है कि अच्छे का परिणाम
हमेशा अच्छा ही होता है तो हम सब कुछ ढंग से क्यूँ नहीं करते हैं? क्या
है जो हमें रोकता है. इसका
कारण हम अपने चाहने के बात भी जान नहीं पाते या शायद ध्यान नहीं दे पाते.
दरअसल इसका कारण है हमारी feelings .
2.
Feelings
जो भी Actions हम लेते हैं वो हमारी
धारणI यानि feelings से निकल कर आते हैं. हम
किसी चीज़ के बारे में कैसा feel करते हैं ये ही निर्धारित करता है कि हमारा behavior कैसा
होगा और हम उस काम को कैसे करेंगे. अगर
हम किसी चीज़ के बारे में अच्छा feel करते हैं और सकारात्मक
हैं तो हमारा
behavior भी उसके लिए सकारात्मक हो जाता है. हमा री feelings प्रत्यक्ष रूप से हमारे क्रिया कलापों को प्रभावित करती हैं. मेरी एर मित्र थीं उन्हें airplane में travel करने में बहुत डर लगता था और travel के पहले दिन वो डर के मारे
बीमार पड जाती थी. और
सिर्फ इस वजह से हैदराबाद से बैंगलोर वो बस या टैक्सी से जाती थी. मतलब जो काम 2-3 घंटे में पूरा हो सकता है उसके लिए वो 12-14 घंटे देती थी. आपको क्या लगता है कि क्या वो सच में बीमार पड जाती
थी. नहीं, बल्कि air travel के बारे
में उनकी feelings उन्हें ऐसा abnormal
act करने के लिए बाध्य करती थी, वो बीमार सा feel करने लगती थी. किसी भी व्यक्ति, वस्तु या घटना के बारे में आपकी feelings आपके actions को effect करती हैं. अपनी job, जीवन साथी, परिवार, आर्थिक स्थिति ,स्वास्थ्य
और अपनी सफलता के बारे में अगर आप positive और productive सोचते हैं तो आपके action भी positive और productive होंगे. लेकिन
ऐसी क्या चीज़ है जो आपके जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा
आपकी feelings को निर्धारित करता है ?क्या ये आपको सयोंग से मिलती हैं या भाग्य
से या फिर जन्म से ही ये आपके साथ होती हैं? आपकी feelings को आपका attitude
control करता है.
3.
Attitude
आपका Attitude यानि रवैया ही जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण दर्शाता है.
कुछ लोगों का ज्यादातर चीज़ों के प्रति अच्छा रवैया होता है, कुछ लोगों का हर चीज़ के प्रति बुरा रवैया होता है.
लेकिन दरअसल हम सबका ही चीज़ों के प्रति मिला जुला रवैया
होता है यानि कि कुछ के प्रति अच्छा और कुछ के प्रति ख़राब.
चीजों के प्रति आपका attitude आपकी feelings को प्रभावित करता है और आपकी feelings आपके action को प्रभावित करती है. अत: हमारा
रवैया हमें successful बनाने में बहुत बड़ा योगदान देता है.
असल में, एक अच्छा attitude किसी भी क्षेत्र में success का आधार है. एक अच्छे attitude के बिना हम opportunity को देखकर उस तक पहुँच नहीं सकते .
इसका मतलब ये है कि ऐसी feelings जो हमें successful बनाने में सहायक हों उनके लिए हमारा attitude अच्छा होना चाहिए. लेकिन
क्या हम खुद ही अपना attitude
decide करते हैं? या ये हमें जन्म से ही
मिलता है या फिर अनुवांशिक ?वास्तव में हमारे attitude के लिए जिम्मेदार है हमारे beliefs .
4.
Beliefs
Beliefs यानि हमारा विश्वास, भावना. किस चीज़ के प्रतिहमारे beliefs ही उसके प्रति हमारा attitude
निर्धारित करते हैं.
Attitude,
feelings को और feelings हमारे action को और action हमारी
success और failure को निर्धारित करता है. हमारा किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना के प्रति विश्वास इतना शसक्त होता है कि किसी भी चीज़ को वो बना सकता है जो वास्तव में वो है नहीं. मतलब की जो हमारा विश्वास है वो
ही दिखाई देता है ज़रूरी नहीं की वो सच हो.
विश्वास के लिए ज़रूरी नहीं कि जिस पर हमें विश्वास है वो सच हो बस हमें विश्वास होना चहिये की वो सच है. उदाहरणत: किसी पडोसी देश में किसी
कक्षा में बैठे छात्र या छात्रा जिसका ये विश्वास हो की भारतवर्ष ख़राब है या उसकी उन्नति में बाधक है ,इससे
कोई फरक नहीं पड़ता कि ये बात सच है या नहीं लेकिन फिर भी ये उसका
विश्वास है. beliefs से उनका attitude ,attitude से feelings और feelings से action निर्धारित होता है. एक
दिन जब ऐसा बच्चा बड़ा होगा तो यहाँ आके किसी की हत्या भी कर सकता है.
अपने हिसाब से वो सही है क्यूंकि उसका belief उसे ऐसा करने के लिए मजबूर करता है.
विश्वास कितना महत्वपूर्ण है ये साबित करने के लिए एक और
उदाहरण लेते है.अपने बारे में एक धारण की कल्पना कीजिये जो कि सच नहीं है और आपके
विरुद्ध काम करती है.मान लीजिये कि आप सोचते हैं की आप थोड़े अंतर्मुखी हैं और आपको मित्र बनाने में
मुश्किल होता है या लोग आपको मित्र की तरह आसानी से स्वीकार नहीं कर पाते.
परिणामस्वरूप सामाजिक सभाओं में आप पीछे खड़े रहते हैं और
कुछ बात करने में संकोच करते हैं अपने workplace में
भी अपने ऊपर इस belief की वजह से बहुत सारे मौके आपके हाथ से निकल जाते हैं.जबकि आपका idea दुसरे के idea से बेहतर हो सकता है लेकिन क्यूंकि आप बोलते नहीं है तो पीछे रह जाते हैं.क्यूंकि
आपका belief आपके क्रियाकलाप निर्धारित
करता है इसलिए आप मान लेते हैं की आप socially successful नहीं हैं जैसा कि आप होना चाहते हैं.अपने बारे में आपका belief इस बात को सच बना देता है
चाहे ये बात सच हो या न हो हमारे सब ही सामाजिक व्यवहार एक अनुबंधित्क प्रतिक्रिया
होते हैं ,कोई भी व्यक्ति famous या friendly पैदा नहीं होता.कोई भी सामाजिक प्रतिष्ठा, योग्यता ,सफलता या असफलता हमारे
अपने बारे में belief पर निर्भर करती है .अगर हमें लगता है कि हम कर सकते हैं तो हम कर सकते हैं और अगर हमें लगता है कि हम नहीं कर सकते तो हम नहीं कर सकते.हम
सबके ही अपने बारे में हजारों beliefs होते हैं.उनमें से कुछ सही होते हैं लेकिन अधिकांश सच नहीं होते.लेकिन हमारे beliefs की
वजह से हमारा मष्तिस्क उन्हें सच समझता है. अब बात ये है कि हमारे beliefs कौन बनता है दरअसल हमारे beliefs के
लिए जिम्मेदार हैं हमारी programming.
5.
Programming
हम वो ही मानते हैं जिसे मानने के लिए हम बचपन से योजनाबद्ध
यानि programmed हैं. दरअसल
जो हमारे आस पास घटित होता है या जो हमारे आस पास के लोग बचपन से हमारे बारे में बोलते हैं या बाकि लोगों,चीजों और दुनिया
के बारे में बोलते हैं वो ही हमारे mind में feed हो जाता है उसी को हमारी programming कहते हैं.चाहे
वो programming गलत हो या सही हो.सच हो या झूट हो. इसलिए जो हम पहले से मानते आ
रहे हैं या हमारे माता पिता, गुरुजनों, भाई
बहनों और हमारे आस पास के समाज ने जो हमें सिखाया है, उसका
अवलोकन करने की भी जरूरत है और उससे बहार सोचना भी जरूरी है.
इसका मतलब ये है कि successful होने
के लिए अपनी programming को बदलना जरूरी है.
क्यूंकि
हमारी programming हमारे beliefs बनती है
हमारा Beliefs हमारा attitude निर्धारित करते हैं.
हमारा attitude हमारी feelings को control करता है.
हमारी Feelings हमारे action decide कराती हैं.
हमारे actions ही results देते हैं .
इस तरह हमारा दिमाग काम करता है.
अगर आप अपने जीवन की बागडोर अपने हाथों में रखना
चाहते हैं और उसे और भी बेहतर ढंग से चलना चाहते हैं , परिणाम
बदलना चाहते हैं, successful
होना चाहते हैं तो पहले step से आरम्भ कीजिये, अपनी programming बदलिए.
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धन्यवाद
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