Saturday, 2 January 2016

सफलता का रहस्य



दोस्तों जीवन में सफल होना कौन नही चाहता, हम अपने अपने तरीके अपना कर जीवन में सफल होने का प्रयत्न करते रहते हैं। हर व्यक्ति की मूलभूत चाहत होती है कि उसके जीने के  अपने तरीके हो | वह इतना सक्षम हो कि केवल अपनी वरन अपने परिजनों-परिचितों की भी आवश्यकताओं एवं इच्छाओं की पूर्ति कर सके। समाज में उसका सम्माननीय स्थान हो।  कोई व्यक्ति व्यवसाय करता है, कोई व्यक्ति नौकरी करता है तो कोई अन्य उद्योग करता है। जीवन में सफलता पाने के लिए एक लक्ष्य अपना कर उस का चिंतन -मनन करो, उसे अपना जीवन बना लो अपनी सम्पूर्ण शक्ति को लगा दो अन्य विचार त्याग दो दृढ़ता के साथ उसे पूरा करने की इच्छा करो दृढ़ता में बड़ी ताकत होती है प्रबल इच्छा शक्ति सफलता जरुर देगी ।जो लोग मंजिल पर नहीं पहुंच पाते, वे इसके लिए अपने भाग्य को कोसते हैं और इसे नियति मानकर बैठ जाते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम है कि जीवन में सफलता पाने के लिए अपने भीतर कुछ विशिष्ट गुण पैदा करने पड़ते हैं जिन्हें हम सफलता के सूत्र भी कह सकते हैं। यहां कुछ ऐसे ही सूत्रों की चर्चा कर रहे हैं जिन्हें आत्मसात् करके आप अपने कार्य क्षेत्र में सफल हो सकते हैं।

कर्म हीं धर्म है, क्योंकि कर्महीन व्यक्ति को तो भगवान भी कुछ नहीं देते हैं, चाहे वह उनकी कितनी हीं पूजा क्यों कर ले.

आत्मविश्वास : प्रत्येक व्यक्ति निरन्तर विकास और सफलताओं के ख्वाब संजोता है लेकिन जब ख्वाब टूटने लगते हैं तो वह निराश तनाव को अपने ऊपर हावी कर लेता है। उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि आज के प्रतिस्पर्धा  वाले युग में कोई भी कार्य कठिन ज़रूर हो सकता है परन्तु असंभव नहीं। ज़रूरत है तो बस आत्मविश्वास की। ऐसी धारणा है कि मनुष्य की आधी क्षमता शरीर और कौशल के साथ जुड़ी होती है, और शेष क्षमता आत्मविश्वास के सहारे टिकी रहती है, परन्तु सभी इसका उपयोग नहीं कर पाते, जो करते हैं सफलता एक एक दिन उनके कदम चूमती है। आत्मविश्वास से ही मनुष्य के भीतर की क्षमता जाग्रत होती है। कई लोगों में योग्यता क्षमता तो होती है लेकिन आत्मविश्वास नहीं होता,  इसलिए सफलता भी इनसे दूर रहती है। सफलता तभी मिलेगी जब आप अपनी क्षमताओं पर विश्वास करते हुए अटूट लगन मेहनत से काम करें।

प्रत्येक व्यक्ति अलग होता है, हर किसी की क्षमता और कमजोरियाँ अलग-अलग होती है. इसलिए तो किसी और से अपनी तुलना करें. और तो किसी और के जैसा बनने की कोशिश करें.

किसी भी कार्य की सफलता में जितना बड़ा योगदान हमारे अभ्यास और परिश्रम का होता है, उतना ही आत्मविश्वास का भी होता है। मनोवैज्ञानिक आत्मविश्वास को प्रेरणा का ही एक आयाम मानते हैं, जितनी अधिक प्रेरणा होगी, उतना ही अधिक आत्मविश्वास और सफलता की संभावना होगी। आत्मविश्वास बढ़ाने के कई तरीके हो सकते हैं। अपने अतीत की सफल घटनाओं को याद करने से आत्मविश्वास बढ़ता है। अपना कोई आदर्श भी बनाया जा सकता है। अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार रहते हुए लगातार परिश्रम से अपने आत्मविश्वास को जगाया जा सकता है। इसी के बल पर अपनी संकल्प शक्ति को भी मज़बूत किया जा सकता है। आत्मविश्वासी बनकर आप व्यक्तिगत सफलता तो पाएंगे ही, समाज में भी आप को सम्मान मिलेगा।

इच्छाशक्ति : लक्ष्य प्राप्ति के लिए यह ज़रूरी है अदम्य इच्छाशक्ति का होना। इच्छाशक्ति ही मनुष्य को उसके लक्ष्य तक लेकर जाती है। चाहे रास्ता कितना ही लंबा क्यों हो, चाहे कितना ही त्याग क्यों करना पड़े, इच्छाशक्ति ऐसी ऊर्जा या ताकत है जो मनुष्य को उसके उद्देश्य तक अवश्य पहुंचाती है। जीवन में गंभीर चुनौतियां क्यों हों, यदि व्यक्ति में चुनौतियों का सामना करने की इच्छाशक्ति है तो कुछ भी असंभव नहीं है। प्रबल इच्छाशक्ति रखने वाला कोई भी व्यक्ति कार्य कुशल बन सकता है। इच्छाशक्ति सफलता की कुंजी है, इसलिए अपने भीतर इसे पैदा करें। इच्छाशक्ति के बल पर ही साहसी, परिश्रमी एवं धुन के पक्के लोग विश्व कीर्तिमान रचते हैं।

सपनों को ख्वाबों से हकीकत की जमीन पर उतारने के लिए, पूरी दुनिया को भूल कर कठिन परिश्रम करना पड़ता है.

लक्ष्य तय करें : बिना दिशा निश्चित किए यदि समुद्र में एक जलयान को छोड़ दिया जाए तो इसका क्या परिणाम होगा, आप स्वयं अंदाज़ लगा सकते हैं। इधर-उधर डोलता हुआ जलयान या तो समुद्री चट्टानों से या फिर तट से टकराकर समुद्र में डूब जाएगा, लेकिन जब उसी जलयान की दिशा निश्चित होगी तो समुद्र को चीरते हुए वह अपनी मंजिल तक पहुंच जाएगा। यही उदाहरण हमारे जीवन पर भी लागू होता है। बिना अपना लक्ष्य तय किये हम अपनी मंजिल पर नहीं पहुंच सकते। भाग्य के भरोसे बैठे रहना ठीक नहीं।

खुद के काम की तुलना अपने काम से करने वाले लोग, दूसरों से मीलों आगे निकल जाते हैं.

 योग्यता : जीवन का लक्ष्य हमारे सामर्थ्य, इच्छाशक्ति और योग्यता पर आधारित होना चाहिए। लक्ष्य प्राप्ति के लिए सबसे पहले यह ज़रूरी है कि आप यह तय करें कि आप किस रास्ते पर चलना चाहते हैं। उसके बाद यह सोचें कि किन साधनों से आप उस रास्ते पर चलते हुए अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं। जैसे-जैसे आप रास्ते पर आगे बढ़ते जाएंगे, आपके साधन भी बढ़ते जाएंगे। यदि आप असफलता की असहनीय वेदना से बचना चाहते हैं तो सिर्फ लक्ष्य ही दिखाई देना चाहिए। वास्तव में लक्ष्य तय कर लेना ही आधी सफलता हासिल कर लेना है। अपने लक्ष्य को सकारात्मक तरीके से निर्मित करना चाहिए कि नकारात्मक भाव से। लक्ष्य का उद्देश्य आपको गतिशील बनाए रखने के लिए प्रेरित करने के लिए होना चाहिए। जब आप अपना लक्ष्य निर्धारित करें तो यह भी सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आप अपनी क्षमताओं शक्तियों का पूरा उपयोग कर रहे हैं। लक्ष्य हासिल करने के लिए आपको अपनी क्षमताओं का भी पता होना चाहिए। ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपने जीवन में बहुत आगे बढ़ सकते थे लेकिन उन्होंने अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल ठीक ढंग से नहीं किया और अपने लक्ष्य को सीमित दायरे में ही रखा।

लोगों की परवाह मत कीजिए कि वे आपके बारे में क्या बोलते हैं या क्या सोचते हैं. आप केवल इस बात का ख्याल रखिए कि आप सही रास्ते में जा रहे हों.

समय का सदुपयोग : जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के साथ चलने उसका सदुपयोग करने वाला व्यक्ति ही जीवन में कामयाबी के शिखर पर पहुंच सकता है। योजनाबद्ध तरीके से शुरू किया गया कार्य समय से पूरा होता है और अपेक्षित परिणाम देता है, इसलिए समय के महत्व को समझें।

जब समय हमारा इंतजार नहीं करता है, तो हम समय का इंतजार करने में अपना समय क्यों बर्बाद करें.
  
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