दोस्तों दो महीने के अन्तराल के बाद फिर से आप के सामने उपस्थित हूँ आप की
सफलता के लिए नयी कहानियां लेकर, जो आप के जीवन को सफलता की ओर लेकर जाएँगी और आप
की चिन्ताओ को दूर करेगी| चिंताओं से घिरे होने पर और चिंता मुक्त होकर जीने में दृष्टिकोण पूरी तरह बदल जाता है। चिंताओं से मुक्त होकर जीने वाले अपनी समस्याओं को बहुत आसानी से हल कर पाते हैं और उनसे उबरना भी जानते हैं। जीवन में आनंद के लिए अपनी चिंताओं की पहचान और उनसे मुक्ति का प्रयास जरूरी है।
अपने आसपास आपने ऐसे व्यक्तियों को जरूर देखा होगा जो बहुत छोटी-छोटी बातों को लेकर चिंतित हो जाते हैं। बस के समय पर नहीं आने पर चिंतित, किसी से बोलचाल हो जाने पर चिंतित और अचानक होने वाले बदलाव से भी चिंतित। किसी भी छोटे विचलन को अपने लिए बड़ी चिंता का विषय बना लेना कुछ व्यक्तियों की आदत होती है।
यह आदत स्वाभाविकता और शांति से दूर ले जाती है और उसका असर प्रदर्शन पर भी होता है। चिंताएं हमारी मानसिक शांति की राह की सबसे बड़ी बाधा हैं। दिमाग को चिंताओं से मुक्त करना इसलिए बहुत जरूरी है।
यह जानना जरूरी है कि छोटी-छोटी चिंताएं हमारे जीवन की गुणवत्ता को किस तरह प्रभावित करती हैं और उनसे मुक्ति क्यों जरूरी है। यह इसलिए भी करना चाहिए क्योंकि चिंताएं हमारी स्वभावगत विशेषताओं को खत्म कर देती हैं। लेकिन जब तक जीवन है तब तक चिंताएं रहेंगी ही। चिंताओं से पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ जा सकता है, वे तो जीवन का अनिवार्य और अपरिहार्य हिस्सा है। चिंताएं भले ही हो लेकिन हमारा नजरिया चिंतामुक्त ही होना चाहिए तभी हम बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। जब आप जान लेते हैं कि चिंताओं को ओढ़कर जी रहे हैं तो उनसे मुक्ति के प्रयास करना आपके लिए बहुत ही जरूरी है। यह करना बहुत कठिन भी नहीं है।
आज के बारे में ही सोचें
चिंतित और चिंतामुक्त व्यक्ति के बीच एक बड़ा फर्क यही है कि मुक्त व्यक्ति अपने आज के बारे में ही सोचता है। वह उन चीजों को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं रहता है जो अभी हुई ही नहीं है। वैज्ञानिक भी इस बात से सहमत हैं कि एक चिंता दूसरी और दूसरी, तीसरी चिंता का कारण बनती है। जब आप सोचते हैं कि अगर ऐसा हुआ तो... और फिर उन स्थितियों के बारे में सोचने लग जाते हैं जो अभी आपसे बहुत दूर है। जो चिंतामुक्त व्यक्ति है वह समस्याओं के भविष्य के बारे में सोचने के बजाय उन्हें हल करने पर ध्यान देता है। वह कल को लेकर ज्यादा सशंकित नहीं रहता और इसलिए अपनी उर्जा का उपयोग आज में ही करता है।
सबक- अगर आप भी भविष्य को लेकर सशंकित रहते हैं तो सोचें कहीं आप चिंता की वजह से जीवन के आनंद को खो तो नहीं रहे।
चिंता में नष्ट न हो ऊर्जा
जो ज्यादा चिंता करते हैं उनके दिमाग को ज्यादा काम करना पड़ता है क्योंकि तब मस्तिष्क भविष्य की हर घटना को आशंका की नजर से देखता है और उसके परिणामों का आकलन ही करता रहता है। ऐसे किसी भी व्यक्ति की रचनात्मक ऊर्जा चिंता में ही खत्म हो जाती है। जबकि वे लोग जो सकारात्मक तरीके से चिंताओं का सामना करते हैं उन्हें लगातार सोचना नहीं पड़ता और वे अपनी उर्जा बचाकर उन्हें दूसरे रचनात्मक कामों में लगा पाते हैं। इस तरह वे ज्यादा बेहतर तरीके से अपने काम को अंजाम भी दे पाते हैं। अगर आपके काम में लगातार गड़बड़ियां हो रही हैं और आप एकाग्र नहीं हो पा रहे हैं तो तलाशें कि आपकी चिंता की वजह क्या है और उसे हल करें।
सबक- सोचिए अगर आप चिंता मुक्त होकर काम करें तो गड़बड़ियां कितनी कम हो सकती हैं। चिंता से मुक्त होकर ही आप अपने काम में शत प्रतिशत योगदान कर सकते हैं।
चिंता और निर्णय की क्षमता
जो कल के लिए चिंतित रहते हैं उनकी निर्णय क्षमता भी आशंकाओं से प्रभावित होती है। इस तरह के लोग भविष्य की आशंकाओं से भयभीत होकर कोई भी निर्णय अच्छे से नहीं ले पाते हैं। वे डरे और सहमे रहते हैं और उनके डर का असर उनके निर्णयों पर भी साफ दिखाई देता है।
सबक- चिंता रहित मन से लिए गए निर्णय के परिणामों पर गौर करें। चिंता से दूर रहकर ही समाधान के बारे में सोचा जा सकता है।
दृष्टि से बदलेंगी चीजें
जो अपनी छोटी-छोटी चिंताओं पर ज्यादा सोचते हैं वे उसे अलग-अलग दृष्टि से भी देखते हैं। जैसे कोई व्यक्ति अगर इस बात को लेकर चिंतित है कि उसकी नौकरी छूट जाने पर वह क्या करेगा। कुछ लोग ऐसे क्षण में यह सोचते हैं कि दूसरी नौकरी कैसे पाई जा सकती है जबकि कुछ लोग यह सोचने लगते हैं कि नौकरी जाने पर घर खर्च कैसे चलेगा, खाने का इंतजाम कैसे होगा और अपनी अन्य जरूरतों को लेकर वह बहुत ज्यादा दबाव महसूस करने लगता है। इस तरह नकारात्मकदृष्टिकोण बुरी तरह प्रभावित करता है और वह अपनी समस्या का हल खोजने में खुद को असमर्थ पाता है।
सबक- देखें कि क्या भविष्य आपको ज्यादा भयभीत कर रहा है और आप डरकर वर्तमान में काम नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा है तो उसे बदलें।
आत्मविश्वासी रहें
जब लोग चिंतित होते हैं तो वे जो भी विचार करते हैं उसके सही न होने की पूरी आशंका बनी रहती है क्योंकि चिंतित व्यक्ति में अपनी चीजों को सही साबित करने का आत्मविश्वास नहीं होता है। हालांकि यह भी है कि जो लोग चिंता करते हैं वे किसी मुश्किल परिस्थिति में काम करने के आदी होते हैं और उस तनाव भरी स्थिति में बढ़िया प्रदर्शन कर पाते हैं जबकि चिंता से दूर रहने वाले लोगों में यह आत्मविश्वास होता है कि परिस्थिति चाहे जो हो वे हर स्थिति को बेहतर तरीके से संभाल लेंगे। आप तय करें कि आप किस स्थिति में रहना चाहते हैं।
सबक- क्या आप अपने निर्णयों का बचाव नहीं कर पाते हैं तो सोचें कि आपका आत्मविश्वास आप कैसे बनाए रख सकते हैं।
संभावना की तलाश मुश्किल
जो चिंता से दूर रहते हैं वे कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अपने लिए संभावना की तलाश कर पाते हैं जबकि चिंता से घिर जाने वाले सिर्फ नकारात्मक स्थिति के बारे में ही सोचते हैं और आशंकित होकर उस स्थिति में श्रेष्ठ प्रयास की योग्यता भी खो बैठते हैं। चिंता मुक्त व्यक्ति नकारात्मक स्थिति में भी सकारात्मक संभावना के बारे में सोच पाता है।
सबक- नई संभावनाओं की तलाश करते हुए
स्वीकार्यता के लिए काम नहीं
वे जो ज्यादा चिंता पालते हैं कई बार उसकी वजह मन में इस भय का होना भी है कि उन्हें अस्वीकार कर दिया जाएगा जबकि जो चिंतामुक्त होकर काम करते हैं वे इस बात के भय से मुक्त होकर ज्यादा बेहतर काम कर पाते हैं। इसलिए स्वीकार्यता के बजाय आनंद और श्रेष्ठता के लिए काम करें तब आप जीवन को सही तरीके से जी भी सकेंगे।
सबक- अगर आप अपने काम का आनंद नहीं ले पा रहे हैं और वह बोझ की तरह है तो स्थितियों को बदलने का प्रयास करें।
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